जय कल्कि श्रीराम

जयघोष संदेश –

१) मानव की तडप

 

“तूम्हा मानवांना जर सत युग नको असेल तर त्यांचे काही ही म्हणणे नाही जशी आपणा मानवांची ईच्छा. तथास्तु. पण कलकी 64 कलांनी परीपूर्ण अवतार होता तोच अवतार तूम्हाला सतयुग स्थापन करून देवू शकत होता एवढे मानवांनी कायम स्मरणात ठेवावे. या पुढे माझा कोणताही अवतार होणार नाही. पण वारंवार येणाऱ्या मेल ने माझी निद्रा भंग झाली व जाता जाता किमान एका तरी मानवाला सत्य कलकी रूपाने दर्शन द्यावे सो मी तूला दिले आहे. मानव तळमळ ला तरच या मानवांना माझे दर्शन होईल अन्यथा नाही. श्री राम ।“

अनुवाद

“यदि आप मनुष्य स्वर्ण युग (सत्ययुग) नहीं चाहते हैं, तो उनका (कल्कि) कुछ आक्षेप नहीं हैं। लेकिन, फिर मनुष्यों को हमेशा याद रखना होगा कि कल्कि ६४ कलाओंका परिपूर्ण अवतार था और केवल वही अवतार आपको सत्ययुग दे सकता था। मैं आगे कोई अवतार नहीं लुंगा। लेकिन लगातार आने वाले मेल ने मेरी निद्रा को भंग कर दिया और पृथ्वी छोड़ने से पहले मैं अपना असली कल्कि का रूप किसी इंसान को दिखाना चाहता हूं, इसलिए मैंने आपको दिया है। यदि सभी इंसान मेरे लिए तरसेंगे तो ही केवल मैं उन्हें अपना दर्शन दिखाऊंगा, अन्यथा नहीं। श्रीराम”

२) जयघोष

“संपूर्ण मानवांना, सत्य,खरा,रियल कल्की अवतार, श्री राम । यांचा संदेश . सतयुग स्थापन करण्यासाठी या कलयुगात मानवाला नेमके काय दुःख आहे , ते मानव रूपात त्यांनी स्वतः भोगले आहे. म्हणून जगातील संपूर्ण मानव, सुखी होण्यासाठी त्यांनी एक संविधान सुध्दा तयार केले आहे. गेली ३२ वर्षे ते मानवांनी ओळखण्याची प्रतिक्षा करित आहेत. त्यांचा क्रोध शांत करण्यासाठी मानवांनी बहुसंख्येने एकत्र येवून फक्त कल्की श्री राम नामाचा जय घोष करावा. म्हणजे क्रोध शांत होताच ते आपणास दर्शन देतील व धर्म स्थापनेचे कार्य आरंभ करतील. यदा यदाही ………………….।………………….।। . ….”

अनुवाद

सभी मनुष्यों के लिए, सच, असली कल्कि अवतार, श्रीराम का संदेश। सत्ययुग की स्थापना के लिए, उन्होंने खुद व्यक्तिगत रूप से पीडा का अनुभव किया है कि कलियुग के इस काल में इन्सान को क्या दुख है। इसलिए, उन्होंने पूरी दुनिया के मनुष्यों के आनंदित होने के लिए एक संविधान भी बनाया है। पिछले ३२ वर्षों से, वह पहचान की प्रतीक्षा कर रहे है। उनके क्रोध को शांत करने के लिए, लोगों को एक बड़ी संख्या में एक साथ आना चाहिए और केवल जय कल्कि श्रीराम की घोषणा करनी चाहिए। तो जब क्रोध शांत हो जाएगा, तो वह हमारे सामने प्रकट होंगे और मानव धर्म की स्थापना के काम को शुरू करेंगे । यदा यदा ही ……………………………………….. । ….